नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के कोंडली इलाके में फल की रेहड़ी लगाने वाले युवक की पिटाई, अपहरण व हत्या के बाद गंगनहर में फेंक दिए जाने की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। मामला तब और भी गंभीर हो जाता है, जब यह सामने आता है कि युवक के अपहरण और हत्या के आरोपितों में एक पुलिसकर्मी भी शामिल है। यही नहीं, जहां एक पुलिस कांस्टेबल पर इस जघन्य अपराध को अंजाम देने का आरोप है, वहीं न्यू अशोक नगर थाना प्रभारी पर पीड़ित परिवार की शिकायतों पर कोई कार्रवाई न करने के भी गंभीर आरोप लगे हैं।
ताजा जानकारी के मुताबिक, आरोपित कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया गया है और थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। एक पुलिसकर्मी जिसे लोगों के रखवाले की भूमिका में होना चाहिए, वह वर्दी के नशे में चूर होकर ऐसे कुकृत्य को अंजाम दे, इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।
थाना प्रभारी द्वारा पीड़ित परिवार की शिकायत को अनसुना किया जाना और उसपर कोई कार्रवाई न करना पुलिस की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को दर्शाता है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़ित परिवार थाना प्रभारी समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर युवक का पता लगाने की गुहार लगाता रहा और उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। राष्ट्रीय राजधानी में यदि पुलिस की कार्यप्रणाली ऐसी है तो देश के दूरदराज के इलाकों में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
दिल्ली पुलिस को यदि वास्तव में दिल्लीवालों की दिल की पुलिस बनना है तो उसके लिए उसे जमीनी स्तर पर अपनी कार्यप्रणाली में आमूलचूल बदलाव करने होंगे। प्रत्येक पुलिसकर्मी के व्यवहार में सामान्य तौर पर यह बात होनी ही चाहिए कि यदि कोई शिकायत लेकर आया है तो उसे तुरंत सुना जाए और शिकायत की गंभीरता के आधार पर उसपर तत्काल कार्रवाई की जाए। जब तक ऐसा नहीं होगा, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी और दिल्ली पुलिस को शर्मसार करती रहेंगी।