तिरुअनंतपुरम। केरल में जीका वायरस के चार नए मामले सामने आए हैं। चौथा मामला सामने आने के बाद राज्य में इस वायरस से संक्रमितों की संख्या 42 हो गई है। जीका का नया मामला कोट्टायम में मिला है। यह तिरुअनंतपुरम के बाद दूसरे जिले में वायरस संक्रमण का सामने आया दूसरा मामला है।
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री वीणा जार्ज ने कहा था कि तिरुअनंतपुरम में वायरस के तीन मामले मिले हैं।तीन में दो अनायारा के निवासी हैं जिनकी उम्र 26 वर्ष और 37 वर्ष है। एक 25 वर्षीय व्यक्ति पेत्ताह में पाजिटिव पाया गया है। राज्य की राजधानी से बाहर एर्नाकुलम में 17 जुलाई को जीका से संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। यह व्यक्ति तिरुअनंतपुरम में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम करता था।
कोट्टयम में पॉजिटिव पाया गया व्यक्ति भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता है और जीका वायरस पर अध्ययन के लिए तिरुअनंतपुरम गया था। उन्होंने कहा कि तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज की वायरस विज्ञान प्रयोगशाला में की गई जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई। उन्होंने कहा कि इस समय सभी संक्रमितों की हालत संतोषजनक है।
जीका वायरस से शिशु को खतरा
जीका वायरस गर्भवती होने पर संक्रमित महिलाओं से पैदा हुए बच्चों में माइक्रोसेफली पैदा कर सकता है। इससे जन्म लेने वाले बच्चे का सिर सामान्य से छोटा होता है। इससे मस्तिष्क के विकास की समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही नवजात शिशु का सही से विकास नहीं हो पाता है साथ ही उसे आगे जाकर सुनने की समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
कैसे फैलता है यह वायरस ?
जीका वायरस एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलने वाली एक बीमारी है। ये मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया के वायरस भी फैलाते हैं। एडीज मच्छर आमतौर पर दिन में काटते हैं।
एक बार जब कोई व्यक्ति मच्छर के काटने से संक्रमित हो जाता है, तो वायरस कुछ लोगों में लंबे समय तक उनके खून में पाया जा सकता है। जब कोई दूसरा मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो यह वायरस दूसरे लोगों में फैल सकता है। किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क, या दूषित रक्त स्रोतों से भी जीका वायरस फैल सकता है।