न्यू दिल्ली :- उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक श्री आशुतोष गंगल ने बताया कि उत्तर रेलवे का दिल्ली मंडल बाजरा (बाजरा) के किसानों को उनकी उपज देश के कोने-कोने तक भेजने में मदद कर रहा है ।
उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने रेलवे के माध्यम से किसानों को उनकी बाजरा उपज के परिवहन में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। दिल्ली मंडल ने 11 अप्रैल 2021 को कैथल से तमिलनाडु के चावडिपलियाम के लिए बाजरा (बाजरा) के पहले रैक के लदान की शुरुआत करके इसके परिवहन में एक नया मुकाम हासिल किया है। इस पहल के साथ, किसान (छोटे/मध्यम से लेकर बड़े तक) अब अपनी उपज को न्यूनतम समय में भारत के कोने-कोने के बाजारों में भेजने में सक्षम हैं।
इस पहल ने बाजरा किसानों को उच्च मांग वाले क्षेत्रों में अपनी उपज भेजने में मदद की है और इस प्रकार दूर-दराज के लोगों तक की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को भी पूरा किया है। रेलवे का यह प्रयास देश के और अधिक किसानों को देश भर में अपने माल के परिवहन में रेलवे के साथ साझेदारी करने के लिए आकर्षित एवं प्रेरित कर रहा है।
अब तक, दिल्ली मंडल ने कैथल, झज्जर, रोहतक, गोहाना और पलवल सहित अन्य लदान स्थलों से 20 (बीस) रैकों का लदान किया है । इन रैकों को तमिलनाडु और कर्नाटक के विभिन्न गंतव्यों तक पहुंचाया गया है। 20 रैकों में लदान किए गए बाजरा का कुल टन भार 65. 833 मीट्रिक टन रहा है।
इस पहल का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि रेलवे किसानों को खाद्यान्न परिवहन के लिए सक्रिय रूप से शामिल कर रहा है। रेलवे पीसमील लोडिंग को भी बढ़ावा दे रहा है ताकि छोटे या मंझोले किसान भी 5 से 10 वैगन की बुकिंग करके भी इस अवसर का लाभ उठा सकें । इससे उन्हें अपनी उपज को किफायती और तेज गति से भेजने में मदद मिलेगी ।
पीसमील लदान की रेलवे की नीति अंततः पूरे देश को कवर करते हुए रेलवे के राजस्व में वृद्धि लाएगी ।