लखनऊ – उत्तर प्रदेश बीजेपी में भूचाल लाने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य को 24 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का फरमान सुनाया गया है। मौर्य के खिलाफ लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप है।
पांच साल ही रहा बीजेपी संग साथ
अभी तो चंद दिन ही बीते थे जब रायबरेली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने जी भरकर योगी आदित्यनाथ की ही नहीं बल्कि पूरी सरकार की तारीफ की थी।अभी 15 दिन भी नहीं बीते कि राजनीति ने अपना नया रंग दिखाया और भारतीय जनता पार्टी में 5 साल बिताने के बाद एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी बदलने का फैसला कर लिया। चुनाव से ठीक पहले वे साइकिल पर सवार हो लिए।
90 के दशक से सक्रिय
दरअसल इन सबके बीच एक बात कॉमन है कि स्वामी प्रसाद मौर्य सूबे की राजनीति में बड़ा नाम माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी बिरादरी के लिए लड़ते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने 80 के दशक में अपने गृह जनपद प्रतापगढ़ छोड़कर रायबरेली को अपना राजनीतिक क्षेत्र माना जिसके बाद उन्होंने रायबरेली में ही अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। यही नहीं पहली बार विधायक भी वे रायबरेली की डलमऊ विधानसभा से 1996 में चुने गए। उसके बाद मायावती के मंत्रिमंडल से मंत्री बने, बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने और बसपा में उनकी हैसियत नंबर दो की माने जाने लगी।