नई दिल्ली। दिल्ली में इस समय किसान आंदोलन से लेकर आतंकी हमले तक की तमाम चुनौतियां हैं। इनसे निपटने में वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना का अनुभव काम आएगा। दरअसल, अस्थाना को न सिर्फ बड़े मामलों से निपटने का माहिर माना जाता है, बल्कि उनके काम करने का तरीका भी बेहद अलग है। मंगलवार देर रात आदेश जारी होने पर दिल्ली पुलिस को इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है कि वह कब पदभार संभालेंगे। माना जा रहा है कि वह बुधवार को भी पदभार संभाल सकते हैं।
राहुल गांधी का ट्रैक्टर लेकर संसद तक पहुंचना गृह मंत्रालय को नागवार गुजरा
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी का ट्रैक्टर लेकर संसद तक पहुंचना गृह मंत्रालय को नागवार गुजरा है। इस बीच खुफिया विभाग से ऐसी भी सूचनाएं गृह मंत्रालय को मिली हैं कि कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारी दिल्ली में आंदोलन को और तेज करने की मंशा पाले हुए हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय ने बाला जी श्रीवास्तव के स्थान पर राकेश अस्थाना को वरीयता दी है, ताकि वह हर परिस्थिति में दिल्ली को महफूज रख सकें।
पहले भी उड़ चुकी अफवाह
अस्थाना को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाए जाने की अफवाह कई बार उड़ चुकी है। गृह मंत्रालय ने उन्हें आयुक्त का पूर्ण प्रभार इसलिए सौपा है, ताकि वे हर तरह का प्रशासनिक फैसले खुलकर ले सकें। दिल्ली पुलिस को और अधिक मजबूत और पेशेवर बनाने के लिए मंत्रालय ने ऐसा निर्णय किया है।
आगरा से अस्थाना का है गहरा नाता
अस्थाना का उत्तर प्रदेश के आगरा से गहरा नाता है। अस्थाना का जन्म 1961 में झारखंड (तत्कालीन बिहार) के रांची में हुआ था। मूलरूप से आगरा के निवासी अस्थाना के पिता नेतरहाट स्कूल में फिजिक्स के टीचर थे। परिवार रांची में ही होने की वजह से उनका जन्म वहीं पर हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नेतरहाट स्कूल और फिर रांची के सेंट जेवियर्स से हुई। स्कूली पढ़ाई के बाद वह आगरा में अपने पैतृक घर चले गए। उन्होंने ग्रेजुएशन आगरा के सेंट जोंस कालेज से किया। 1978 में बीए में दाखिला लेकर फर्स्ट डिवीजन के साथ डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की।
पहले ही प्रयास में हुआ आईपीएस में सेलेक्शन
23 साल की उम्र में 1984 में पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली थी। उनका चयन पुलिस सेवा में हुआ और वह गुजरात कैडर के अधिकारी बन गए। सीबीआइ और बीएसएफ के महानिदेशक रहे राकेश की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती है। उन्होंने 2002 के गोधरा दंगे और फिर 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट की भी जांच की। आसाराम बापू से जुड़े दुष्कर्म मामले की जांच में भी वह शामिल रहे थे।
बिहार चारा घोटाले की जांच में राकेश अस्थाना की अहम भूमिका रही थी
बिहार में हुए चारा घोटाले की जांच में राकेश अस्थाना की अहम भूमिका रही थी। सीबीआइ के एसपी रहते हुए चारा घोटाले की जांच उनके नेतृत्व में की गई थी। चारा घोटाले की जांच के शुरुआती दिनों में धनबाद में सीबीआइ के एसपी पद पर पोस्टेड थे और मामले की जांच कर रहे थे। उस समय लालू यादव का सितारा बुलंद था, लेकिन इस मामले की जांच के बाद अस्थाना ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 1996 में चार्जशीट दायर की। 1997 में लालू यादव पहली बार इस मामले में गिरफ्तार हुए थे।
सीबीआइ में रहते हुए तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ हुआ विवाद
सीबीआइ में रहते हुए तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ हुए विवाद के बाद राकेश अस्थाना फिर से चर्चा में आए थे, जिसके बाद उनका तबादला सीबीआइ से कर दिया गया था। अस्थाना के पास डीजी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का अतिरिक्त प्रभार भी रहा था।