सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से हुई ब्लिंकन की मुलाकात, कहा- लोकतांत्रिक मूल्य हैं भारत-अमेरिका संबंध की आधारशिला

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नई दिल्ली। दो दिवसीय दौरे पर भारत आए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को सिविल सोसायटी आर्गेनाइजेशन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। ब्लिंकन ने ट्वीट कर कहा, ‘लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को भारत और अमेरिका साझा करते हैं और यही हमारे बीच संबंध की आधारशिला है जो भारत के बहुलवादी समाज को दर्शाता है।’

इससे पहले ब्लिंकन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सचिव अजीत डोभाल से साउथ ब्लॉक जाकर मुलाकात की। आज ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर से भी मिलेगे। इस दौरान कोविड-19 और इंडो-पैसिफिक समेत अनेकों अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। ब्लिंकन के आने से भारत-अमेरिका के के बीच वर्ष 2024 तक द्विपक्षीय रिश्तों को नई दिशा मिलने की उम्मीद की जा सकती है।

जयशंकर और ब्लिंकन के बीच बैठक में क्षेत्रीय मुद्दे भी उठेंगे। दोनों पक्षों की तरफ से बताया गया कि अफगानिस्तान की स्थिति एक बड़ा मुद्दा होगा। साथ ही चीन व भारत के बीच सैन्य तनाव का मुद्दा भी उठने की संभावना है। अमेरिकी पक्ष रक्षा मुद्दों को लेकर ज्यादा जोर दे रहा है। इस बात का प्रमाण उसके विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान है।

आज होने वाली यह मुलाकात कई मायनों में काफी अहम होगी। ब्लिंकन की यह पहली भारत यात्रा है जिसके लिए वे मंगलवार देर शाम नई दिल्ली पहुंचे हैं। उनके भारत में कदम रखने के साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने द्विपक्षीय रिश्तों पर एक बयान जारी किया जिसमें भारत को एक मजबूत रणनीतिक साझीदार बताया गया है।

ब्लिंकन आज प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का संदेश देंगे। यह संदेश खास तौर पर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया) के प्रमुखों की बैठक से संबंधित होगा। इन नेताओं के बीच सितंबर, 2021 में होनेवाली बैठक को लेकर दोनों देशों के बीच संपर्क जारी है। भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी क्वाड से जुड़े मुद्दे काफी अहम रहने वाले हैं।
सूत्रों के अनुसार अब दोनों देशों के बीच लगातार संपर्क का सिलसिला जारी रहेगा। ब्लिंकन के भारत दौरे के बाद बाद अमेरिकी सेना के स्पेशल आपरेशंस कमांड के कमांडर जनरल रिचर्ड डी क्लार्क भारत आ रहे हैं। इसके बाद अगस्त के पहले हफ्ते में अमेरिकी सेना प्रमुख जेम्स मैककोन विले भी भारत आएंगे। इन तीनों शीर्ष अधिकारियों की यात्राओं से दोनों देशों के बीच होने वाली आगामी टू प्लस टू (रक्षा व विदेश मंत्रियों की) वार्ता की जमीन तैयार होगी।

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