पंजाब कांग्रेस में कैप्टन-सिद्धू के बीच शह-मात का खेल, नवजोत से पहले आगे बढ़कर शॉट लगा रहे अमरिंदर

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चंडीगढ़। नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान बनने के बाद भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बीच शह-मात का खेल जारी है। कभी नवजोत सिंह सिद्धू फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं तो कभी कैप्टन अमरिंदर आगे बढ़कर शॉट लगा रहे हैं। दोनों में लगातार आगे निकलने होड़ लगी हुई है।
अभी चार दिन पहले मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार ने पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) को लेकर संबंधित अधिकारियों की मीटिंग की। इसके थोड़ी देर बाद ही सिद्धू मुख्यमंत्री से मिलने उनके दफ्तर पहुंच गए। सिद्धू ने कैप्टन को ज्ञापन सौंपा, जिसमें पीपीए रद करने की मांग की गई थी। इससे पहले कि सिद्धूू आगे बढ़कर खेलते और इसे मुद्दा बनाते, कैप्टन ने एक कदम आगे बढ़कर निजी थर्मल, सोलर प्लांटों से किए समझौते रद कर करने की घोषणा कर दी।
इसी तरह वीरवार को भी सुरेश कुमार ने अनुसूचित जाति से संबंधित मांगों को पूरा करने के लिए बैठक की। इधर, सिद्धू ने 30 जुलाई को दोपहर ढाई बजे पार्टी के अनुसूचित जाति से संबंधित विधायकों की बैठक बुला ली। हालांकि इससे पहले कि मीटिंग होती, शाम को मुख्यमंत्री ने कैबिनेट में एससी वेलफेयर बिल लाने को मंजूरी दे दी। एक के बाद एक उठाए जा रहे ऐसे कदमों को कैप्टन और नवजोत सिद्धू के बीच वर्चस्व की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। जहां सिद्धू मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं, वहीं कैप्टन समय रहते उन मुद्दों को छीनने का काम कर रहे हैं।

सिद्धू के सामने आज एससी विधायक रखेंगे समस्याएं
सिद्धू सभी समुदायों के मुद्दे समझने में लगे हुए हैं, इसलिए सबसे पहले उन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित विधायकों के साथ मीटिंग रखी है। ये विधायक अपनी ही सरकार में ठगा महसूस कर रहे हैं। एससी विधायक लंबे समय से 85वें संशोधन को लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा एससी स्कालरशिप लागू करना भी उनकी मांगों में शामिल है।
कैबिनेट में एससी वर्ग को उनका बनता हक देना भी उनकी सूची में शामिल है। एक सीनियर एससी विधायक का कहना है कि कैबिनेट में उनके समुदाय के चार मंत्री होने चाहिए, लेकिन तीन ही हैं। इन्हें भी ऐसे विभाग दे रखे हैं जो कभी मंत्री लेना नहीं चाहता। रविदासिया समुदाय के बाद दूसरी सबसे बड़ी जाति मजहबी-वाल्मीकि समुदाय से एक को भी मंत्री नहीं बनाया गया। इसी तरह अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों को बोर्ड, कारपोरेशन और कमीशन के चेयरमैन भी नहीं लगाए गए।

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