मैनपुरी के स्कूल में जातिगत भेदभाव का मामला

एक शिकायत के बाद अधिकारियों ने स्कूल का हालचाल लिया तो पता चला कि मिड डे मील के लिए जिन बर्तनों का इस्तेमाल अनुसूचित समुदाय के बच्चे करते थे, उन्हें अलग रखा जाता था। खाने के बाद ये बच्चे खुद अपने बर्तन साफ करते थे।

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उत्तर प्रदेश- उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के दाउदपुर सरकारी प्राथमिक विद्यालय में 80 में से साठ बच्चे अनुसूचित जाति के हैं। जहा एक शिकायत के बाद अधिकारियों ने स्कूल का मुआयना लिया तो पता चला कि मिड डे मील के लिए जिन बर्तनों का  ाइस्तेमाल अनुसूचित समुदाय के बच्चे करते थे, उन्हें अलग रखा जाता था। खाने के बाद बच्चे खुद अपने बर्तन साफ करते थे। फिलहाल प्रधानाध्यापिका गरिम राजपूत को निलंबित कर दिया गया है। दो रसोइयों को भी काम से हटाया जा चुका है। उन्होंने कहा था कि वो अनुसूचित जाति के छात्रों द्वारा उपयोग किए जाने वाले बर्तनों को हाथ नहीं लगा सकते थे।

मैनपुरी के बेसिक शिक्षा अधिकारी बीएसए कमल सिंह ने कहा कि सरपंच मंजू देवी के पति की शिकायत स्की निकली। स्कूल में जातिगत भेदभाव किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि बुधवार को इस बारे में शिकायत मिली थी। उसके बाद निरीक्षण के लिए एक टीम को स्कूल भेजा गया। अनुसूचित जाति और अन्य बच्चों के बर्तन अलग-अलग रखे जाते थे। टीम ने जब स्कूल का दौरा किया तो कुक सोमवती और लक्ष्मी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वो काम करना छोड़ देंगे।

सरपंच के पति साहब सिंह ने कहा कि कुछ अभिभावकों ने उन्हें 15 सितंबर को इसके बारे में बताया था। 18 सितंबर को वह खुद स्कूल गए तो देखा कि रसोई गंदी थी। वहां 10-15 प्लेट रखी थीं। रसोइयों से बाकी थालियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हैरतअंगेज करने वाली बात कही। उनका कहना था कि रसोई में जो थालियां थीं वो पिछड़े और सामान्य वर्ग के छात्रों की थीं।

50-60 थालियां अलग-अलग रखी गई थीं। उन्हें बताया गया था कि अनुसूचित जाति के छात्रों को अपने बर्तन धोने और रखने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि कोई भी उन्हें छूने को तैयार नहीं होता है। साहब सिंह ने बताया कि गांव की करीब 35 फीसदी आबादी दलित है।

 

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