भोपाल। मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सियासत काफी गर्मा गई है। ओबीसी महासभा के प्रदर्शन को अन्य संगठनों के साथ ह कांग्रेस का भी साथ मिल गया है। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल भी ओबीसी महासभा के प्रदर्शन में शामिल हुए।
आपको बता दें कि अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने निकले ओबीसी महासभा के कार्यकर्ता को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक लिया। जिसके बाद आंदोलन में शामिल हुए पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल की पुलिस जवानों से तीखी बहस हुई। मुख्यमंत्री निवास जाने की जिद में कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प और धक्का मुक्की हुई। और फिर पुलिस ने कई आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी ओबीसी महासभा के समर्थन में उतर आए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि हमारी सरकार ने ओबीसी वर्ग के हित के लिये उनके आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का निर्णय लिया था। शिवराज सरकार में इच्छाशक्ति के अभाव , कमजोर पैरवी व ठीक ढंग से पक्ष नही रखने के कारण यह आज तक लागू नही हो पाया है ? कांग्रेस ओबीसी महासभा के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करती है।
आगे उन्होंने लिखा कि आज इस माँग को लेकर ओबीसी वर्ग के आंदोलन में शामिल लोगों पर किये गये बल प्रयोग , दमन व गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करता हूँ। सरकार यदि इस वर्ग के साथ न्याय नही कर सकती है तो कम से कम दमन नही करे।
वहीं कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने ओबीसी महासभा के आंदोलन के लिए शिवराज सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार नहीं चाहती कि ओबीसी समाज को आरक्षण मिले। इसमें शिवराज सरकार दोषी है।
इसके बाद बीजेपी से मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मामले में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती कि 27% आरक्षण मिले। यह सिर्फ कांग्रेस का राजनीतिक पैंतरा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा ओबीसी के खिलाफ़ रही है।ओबीसी को सरकार ने संवैधानिक दर्जा देने का फैसला लिया है। आरक्षण को लेकर स्टैंडिंग कमेटी बनाई जा रही है और आने वाले समय मे हाई कोर्ट में पक्ष रखा जाएगा।
दरअसल ओबीसी महासभा का कहना है कि नीट की परीक्षा में ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया गया। एनआरएचएम की भर्ती मे ओबीसी आरक्षण के दौरान अनियमितताएं सामने आई है। सरकारी परीक्षाओं में ओबीसी समाज को आरक्षण के नहीं मिल रहा। उन्होंने आगे कहा कि हमे जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए । प्रदेश में 55 फीसदी से ज्यादा ओबीसी समाज की संख्या है।