नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश नहीं दे सकते। शिक्षा और रोजगार के अभाव में बच्चों समेत बड़े लोग सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हैं। यह सामाजिक आर्थिक मुद्दा है इसका हल मांगे गए आदेश से नहीं हो सकता। यह मानवीय समस्या है जिसे कल्याणकारी राज्यों को संविधान के भाग तीन (मौलिक अधिकार) और भाग चार (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में दिए गए तरीकों से हल करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने बेघरों और भिखारियों को कोरोना टीका लगाए जाने और चिकित्सीय सुविधाएं देने की मांग पर केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणियां की। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा है कि याचिका में ऐसे लोगों के टीकाकरण और कोरोना के दौरान चिकित्सीय सुविधाओं का मुद्दा उठाया गया है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। अदालत केंद्र और दिल्ली सरकार से यह जानना चाहती है कि इस मानवीय चिंता के बारे में क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने मामले को 10 अगस्त को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश देते हुए सालिसिटर जनरल से मामले की सुनवाई में कोर्ट की मदद करने का अनुरोध किया है।
जानें- याचिका में क्या मांग की गई थी
पीआइएल में मांग की गई है कि कोरोना महामारी को देखते हुए ट्रैफिक सिग्नल और सड़क पर भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाया जाए और ऐसे लोगों का पुनर्वास कर मूलभूत सुविधाएं, आश्रय और चिकित्सीय सुविधाएं देना सुनिश्चित किया जाए साथ ही सभी को कोरोना टीका लगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों के आधार पर हल निकालना चाहिए।