शंघाई। भारत ने अफगानिस्तान की समस्या के समाधान के लिए एक रोडमैप पेश किया है। अफगानिस्तान के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि काबुल का भविष्य उसका अतीत कतई नहीं हो सकता। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में विदेश मंत्री ने संघर्षग्रस्त देश के लिए तीन सूत्री रोडमैप पेश किया। इसमें हिंसा और आतंकवादी हमलों की समाप्ति, राजनीतिक बातचीत के माध्यम से संघर्ष का समाधान और पड़ोसी देशों को सुनिश्चित करने के लिए कदम शामिल है।
स्वतंत्र, तटस्थ, एकीकृत, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध राष्ट्र की वकालत
भारत ने एक बार फिर दुनिया के समक्ष अपनी लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था व्यक्त किया है। विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान के नियंत्रण पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच दुशांबे में एससीओ विदेश मंत्रियों के संपर्क समूह की बैठक में रोडमैप पेश किया। उन्होंने कहा कि विश्व के दूसरे देशों के साथ ही अफगान लोग भी एक स्वतंत्र, तटस्थ, एकीकृत, शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक और समृद्ध राष्ट्र चाहते हैं। विदेश मंत्री ने साफ किया कि अफगानिस्तान का भविष्य उसका अतीत नहीं हो सकता। नई पीढ़ी की अलग-अलग उम्मीदें होती हैं। हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए।
पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधा
एससीओ की बैठक में भारत ने एक बार फिर बिना नाम लिए पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधा। विदेश मंत्री ने साफ किया कि शंघाई सहयोग संगठन का मुख्य मकसद आतंकवाद और कट्टरपंथ से मुकाबला करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आतंकवाद के वित्तपोषण को सख्ती से रोका जाए, ताकि आतंकवाद पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, युद्ध और नशीले पदार्थों से मुक्त अफगानिस्तान के लिए भारत समर्थन का वादा करता है। एससीओ में विदेश मंत्रियों ने बुधवार को एक संयुक्त बयान में देश में चल रही हिंसा और आतंकी हमलों की निंदा की।
सीमा तनाव के बीच जल्द होगी बातचीत
तजाकिस्तान के दुशांबे में एलएसी के टकराव पर भारतीय विदेश मंत्री और चीन के समकक्ष वांग यी के बीच तकरीबन एक घंटे वार्ता हुई। इस बैठक में LAC पर टकराव के बीच दोनों देश के एक बार फिर से सैन्य स्तर की बातचीच जल्द शुरू करने सहमत हुए। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्ष पारस्परिक हितों को ध्यान में रखते हुए पूर्वी लद्दाख में एलएसी से संबंधित शेष मुद्दों के जल्द समाधान की दिशा में काम करें। साथ ही द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाए।