आईएएस और आईपीएस समेत सभी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए निर्देश जारी

*. सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना निजी संस्थाओं से पुरस्कार लेना प्रतिबंधित

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लखनऊ:-  आईएएस और आईपीएस समेत सभी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया है। निर्देश के मुताबिक,अब वह निजी संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार आसानी से प्राप्त नहीं कर पाएंगे। भारत सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार,पुरस्कार लेने से पहले उन्हें सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी।

भारत सरकार के अंडर सेक्रेट्री रामलखन द्वारा जारी निर्देश में अखिल भारतीय सेवा (आचरण) अधिनियम, 1968 के नियम 12(1) का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि समय-समय पर विभाग द्वारा पुरस्कारों के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 20 अक्टूबर, 1993 के आदेश के हवाले से यह भी निर्देशित किया है कि निजी संस्थानों और संगठनों द्वारा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को पुरस्कार दिए जाने को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता नहीं है।

क्योंकि सरकार के पास स्वयं इन अधिकारियों की योग्यताओं और सेवाओं को पहचानने के विभिन्न तरीके और साधन हैं,  इसी प्रकार, 9 अगस्त, 1994 के आदेश के हवाले से यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन अधिकारियों के लिए निजी संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करना उचित नहीं है। फिर भी यह देखा गया है कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, निजी निकायों/संस्थाओं/संगठनों द्वारा दिए गए पुरस्कारों को स्वीकार कर रहे हैं और उक्त निर्देशों का उनकी वास्तविक भावना में पालन नहीं किया जा रहा है।

भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा उपरोक्त आदेशों के संदर्भ में स्पष्ट किया गया है कि निजी संस्थाओं/संगठनों द्वारा दिये जाने वाले पुरस्कार सक्षम प्राधिकारी की पूर्वानुमति से ही स्वीकार किये जा सकेंगे।
निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो अधिकारी किसी राज्य में सेवारत हैं, उनके लिए सक्षम प्राधिकारी राज्य सरकार होगी और जो अधिकारी केंद्र में सेवारत हैं, उनके लिए सक्षम प्राधिकारी संबंधित मंत्रालय/विभाग के सचिव होंगे. और भारत सरकार के सचिवों के लिए, सक्षम प्राधिकारी कैबिनेट सचिव होंगे।

सक्षम प्राधिकारी असाधारण परिस्थितियों में शर्तों के साथ मंजूरी दे सकता है, पहली शर्त यह है कि अवार्ड के रूप में कोई वित्तीय घटक शामिल नहीं होना चाहिए, जैसे नकद या अन्य सुविधाएं आदि। दूसरी महत्वपूर्ण शर्त यह होगी कि पुरस्कार देने वाला निजी संस्थान/संगठन प्रतिष्ठित हो और पुरस्कार दोषों से मुक्त एवं गरिमामय होना चाहिए।
निर्देश के अनुसार, भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों से इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।

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