चोरी के पासपोर्ट के इस्तेमाल के जरिये सीमा पार करने का प्रयास करते हुए एक आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया। ऑनलाइन पोस्ट की गई तस्वीरों के माध्यम से पहचाने जाने के बाद एक बाल-शोषण पीड़ित को बचाया गया। दुनिया भर में पीड़ितों को लक्षित करने वाले फ़िशिंग घोटाले से जुड़ी लाखों डॉलर की चोरी पकड़ी गयी।
यह किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि अपने 195 सदस्य देशों का समर्थन करने वाले इंटरपोल का रोजमर्रा का काम है।
आज हम जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, वे तेज, गतिशील, अपने-आप में सशक्त और परस्पर जुड़े हुए हैं। वास्तव में, हम आपराधिक खतरे से सम्बंधित परिदृश्य में अभूतपूर्व जटिलता देख रहे हैं।
इन वैश्विक खतरों से निपटने के लिए, इंटरपोल की गतिविधियां मुख्य रूप से तीन कार्यक्रमों पर आधारित हैं- आतंकवाद, साइबर अपराध और संगठित एवं उभरते अपराध, जो हमारे सदस्यों की कानून-व्यवस्था को बनाये रखने से जुड़ी चिंताओं को भी दर्शाती हैं।
दुनिया भर में आपराधिक गतिविधियों के बढ़ते समन्वय के जवाब में, इस साल की शुरुआत में इंटरपोल ने अपना वित्तीय अपराध और भ्रष्टाचार विरोधी केंद्र स्थापित किया।
विश्व स्तर पर, अवैध वित्तीय लेन-देन के एक प्रतिशत से भी कम को रोकने और वसूली करने में सफलता मिलती है तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था इसके बढ़ते दबाव का सामना कर रही है। ऐसे में विस्तारित कार्रवाई के लिए एक प्रमुख क्षेत्र है- आपराधिक संपत्तियों का पता लगाना, उन पर कब्जा करना और उन्हें जब्त करना।
इसी पृष्ठभूमि में, हमारे वैश्विक सदस्य; 18 से 21 अक्टूबर तक नई दिल्ली में हमारी 90वीं महासभा, जो संगठन की सर्वोच्च शासी निकाय है, के लिए एकत्रित होंगे।
इंटरपोल की स्थापना, क्षेत्रीय और वैश्विक पुलिस समन्वय की अत्यधिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए, 1923 में की गई थी। लगभग एक सदी बाद भी, यह आवश्यकता निरंतर बढ़ती जा रही है, क्योंकि आपराधिक परिदृश्य लगातार तेज गति से उभर रहा है। सीमा पार से सूचना के आदान-प्रदान के लिए मानदंड स्थापित करने संबंधी अभूतपूर्व पहल, अब मानक का दर्जा प्राप्त कर चुकी है।
उस समय टेलीग्राम, टेलीफोन और डाक सेवाओं ने कानून प्रवर्तन सहयोग की सीमाओं का निर्धारण किया था।
आज, एक बटन के क्लिक के साथ, दुनिया में कहीं भी, पुलिस तुरंत इंटरपोल के 19 वैश्विक डेटाबेस के आधार पर जांच कर सकती है, जिनमें डीएनए प्रोफाइल और चेहरे की पहचान के लिए फोटो सहित 126 मिलियन रिकॉर्ड हैं।
हमारे डेटाबेस का हर दिन 20 मिलियन से अधिक बार खोज के लिए उपयोग किया जाता है- जो प्रति सेकंड लगभग 250 उपयोग के बराबर है।
अपने स्वभाव के अनुरूप, कानून प्रवर्तन परंपरागत रूप से प्रतिक्रियाशील होता है। हालांकि, जैसे-जैसे हम पुलिस सहयोग की एक नई सदी की शुरुआत कर रहे हैं, वैश्विक कानून प्रवर्तन समुदायों द्वारा अपनी प्रणालियों को भविष्य के प्रति सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाये जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन सहयोग के सक्रिय एजेंट होने के लिए तकनीकी प्रगति को पुलिस के काम में शामिल किया जाना चाहिए।
हालांकि, वैश्विक सुरक्षा के लिए मानवीय संबंध भी आवश्यक है- कोई भी मशीन आपस-में हाथ मिलाने की जगह नहीं ले सकती। कोई भी डेटाबेस किसी संवाद को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता।
यही कारण है कि हमारी महासभा का आयोजन, इंटरपोल के मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है- एक सुरक्षित विश्व के लिए पुलिस को परस्पर जोड़ना।
दुनिया भर के पुलिस के अग्रणी लोग इंटरपोल के अनूठे मंच के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों का समाधान करने के लिए आपस में विचार-विमर्श करेंगे।
वे सुरक्षा और गोपनीयता के बीच संतुलन सुनिश्चित करने वाले फ्रेमवर्क की आवश्यकता सहित एक नए तकनीकी परिदृश्य को अपनाने में सीखे गए सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करेंगे।
वे सफलताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे- अवैध दवाओं के कारोबार पर हुई एक कार्रवाई, जिसके परिणामस्वरूप लगभग तीन-चौथाई अरब डॉलर की बरामदगी हुई, से लेकर आपराधिक समूहों पर हुई कार्रवाई, जिसके जरिये मानव तस्करी के लगभग 700 पीड़ितों को बचाया गया।
इंटरपोल के माध्यम से वैश्विक सहयोग, राष्ट्रीय स्तर पर वास्तविक परिणाम कैसे लाता है, इसका एक उदाहरण है– हाल ही में मादक पदार्थों की तस्करी को लक्षित ऑपरेशन लायनफिश में भारत की भागीदारी।
भारतीय अधिकारियों ने ऑपरेशन के दौरान हेरोइन की सबसे बड़ी खेप को पकड़ा, जिसमें मुंद्रा बंदरगाह में 75.3 किलोग्राम नशीली दवा को जब्त किया गया था।
इसके बाद ऑपरेशन गरुड़ सफल हुआ, जहां केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इंटरपोल और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ निकट समन्वय में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़ैले ड्रग कार्टेल को लक्षित करते हुए कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में 175 गिरफ्तारियां हुईं और 127 मामले दर्ज किए गए।
इंटरपोल के माध्यम से सहयोग के महत्व का एक अन्य उदाहरण हमारा अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डेटाबेस है।
आईसीएसई डेटाबेस में बाल यौन शोषण से जुड़ी चार मिलियन से अधिक तस्वीरें, वीडियो और हैश मौजूद हैं, जो प्रतिदिन औसतन सात बाल शोषण पीड़ितों की पहचान करने में मदद करते हैं। आज तक, डेटाबेस ने दुनिया भर में 30,000 से अधिक पीड़ितों की पहचान करने में सहायता की है।
इस वर्ष की शुरुआत में भारत इस विशेष डेटाबेस से जुड़ने वाला 68वां देश बन गया और वह समाज के सबसे कमजोर सदस्यों की सुरक्षा के लिए समर्पित इस वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा बनने के महत्वपूर्ण परिणाम पहले ही देख चुका है।
निश्चित रूप से, लगभग 100 साल पहले इंटरपोल के निर्माण के पीछे का एक मौलिक कारण, आज भी हमारे काम में सबसे महत्वपूर्ण है- भगोड़ों को न्यायालय के समक्ष पेश करने में दुनिया के देशों की मदद करना, चाहे वे कहीं भी छिपने का प्रयास करें और चाहे वे कितनी भी दूर तक भागने की कोशिश करें।
हर साल इंटरपोल रेड नोटिस, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉन्टेड भगोड़ों के बारे में दुनिया भर में पुलिस को सचेत करते हैं, जिनसे विभिन्न देशों को हजारों हत्यारों, दुष्कर्म के अपराधियों, आतंकवादियों, धोखेबाजों और अन्य अपराधियों की पहचान करने तथा उन्हें गिरफ्तार करने में मदद मिलती है।
हालांकि भू-राजनीतिक स्तर पर मतभेद हो सकते हैं, परन्तु कानून प्रवर्तन के लिए कानून के शासन को बनाए रखने पर ध्यान दिया जाना चाहिए और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि जांच हमें कहां ले जा रही है, या पुलिस के लिए महत्वपूर्ण जानकारी कहां से आ रही है।
वास्तव में, आज मजबूत अंतर-क्षेत्रीय पुलिस व्यवस्था एक वास्तविकता है और हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सीमा पार सूचानाओं का ऐसा आदान-प्रदान देख रहे हैं, जैसा वैश्विक इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया था।
भारत जैसे सदस्य देशों में कानून प्रवर्तन की प्रतिबद्धता और पेशेवर दृष्टिकोण, इंटरपोल को वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन में भारत के योगदान को स्वीकार करते हुए, पिछले साल महासभा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक प्रवीण सिन्हा को एशिया के लिए कार्यकारी समिति का प्रतिनिधि चुना।
भारत के समृद्ध इतिहास और भविष्य के दृष्टिकोण की पृष्ठभूमि में, दुनिया भर के प्रतिनिधि आज के सबसे महत्वपूर्ण आपराधिक मुद्दों के समाधान के लिए इकट्ठा होंगे और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे।
पूरे वर्ष के दौरान संगठन का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है– महासभा की बैठक और मैं इस आयोजन के लिए नई दिल्ली से अधिक उपयुक्त जगह के बारे में कल्पना नहीं कर सकता।