कार्यक्रम के दौरान जलवायु घड़ी और इसका महत्व, जलवायु परिवर्तन और इसके परिणाम की जानकारी देने हेतु युवाओं के लिए ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए. जिसमें हाइजिया कॉलेज ऑफ फार्मेसी, लखनऊ, हाइजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, लखनऊ और विवेक कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एजुकेशन बिजनौर, उत्तर प्रदेश के छात्रगण संस्थान में विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित जिज्ञासा कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए. 24 अप्रैल से 27 अप्रैल तक आयोजित ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण कार्यक्रम में तीन अलग-अलग कॉलेजों के लगभग 150 छात्रों और 12 फैकल्टी ने जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया.
क्लाइमेट क्लॉक की टिक टिक हमें क्लाइमेट चेंज के लिए अलर्ट कर रही है
प्रतिभागियों को वेबसाइट (https://climateclock.world/) के जरिए क्लाइमेट क्लॉक के रियल टाइम डेटा के बारे में जानकारी दी गई. क्लाइमेट क्लॉक हमें यह बताती है कि वास्तविक समय के आंकड़ों के आधार पर वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने में कितना कम समय बचा है और यदि तापमान में वृद्धि हुई तो इसका परिणाम अपरिवर्तनीय होगा. इस कार्यक्रम मे प्रतिभागियों को ऊर्जा साक्षरता प्रशिक्षण लेने और जलवायु को बचाने के लिए प्रेरित किया गया। प्रतिभागियों ने जलवायु को बचाने और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की शपथ ली. डॉ. संजीव यादव, वरिष्ठ वैज्ञानिक सीडीआरआई लखनऊ ने जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों पर चर्चा की, उन्होंने कहा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन मुख्य रूप से CO2 से पृथ्वी का तापमान प्रतिदिन बढ़ रहा है जिससे ग्लेशियर पिघल रहें है और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जिससे कई देशों के तटीय क्षेत्र लगभग जलमग्न होने के कगार पर हैं.
स्टूडेंट-साइंटिस्ट कनेक्ट प्रोग्राम
विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ये छात्र-वैज्ञानिक कनेक्ट कार्यक्रम, सीएसआईआर-जिज्ञासा के अन्तर्गत में आयोजित किया गए थे जिसमें फार्मेसी छात्रों हेतु कैरियर के विभिन्न अवसरों की भी जानकारी साझा की गई. डॉ संजीव यादव ने विभिन्न क्षेत्रों के बारे में बताया जहां छात्र अपनी सामर्थ्य एवं अपनी कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए देखते हुए खुद के लिए उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं जैसे बायोमेडिकल रिसर्च, मेडिसिन एडवाइजरी, पेटेंट अटॉर्नी, फॉरेंसिक साइंटिस्ट, रेगुलेटरी अटॉर्नी, क्वालिटी कंट्रोल केमिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस, मेडिकल साइंस, फार्माकोविजिलेंस एवं अन्य. उन्होंने समझाया कि कैसे एक नवीन यौगिक एक दवा के रूप में विकसित किया जाता है और किस तरह से औषधि अनुसंधान एवं विकास के विभिन्न क्षेत्र इसमें शामिल होते हैं. उन्होने विद्यार्थियों के ये भी बताया की कैसे वे सीएसआईआर-सीडीआरआई के साथ अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं?