आयुष मंत्रालय ने कोरोना के इलाज में एनआइसीइ के निराधार दावे का जोरदार किया खंडन, बताया- निराधार और भ्रामक

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नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय ने गुरुवार को एनआइसीइ द्वारा विकसित कोविड-19 उपचार प्रोटोकॉल को कोई मंजूरी देने से इनकार किया और कहा कि नेटवर्क का दावा ‘निराधार और भ्रामक’ है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित नेटवर्क NICE (नेटवर्क ऑफ इन्फ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट्स) द्वारा कुछ भ्रामक दावे किए गए हैं और कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा प्रकाशित किए गए हैं।
जिसमें कहा गया है कि मुख्य दावा कोरोना के उपचार के एक प्रोटोकॉल को विकसित करने के संबंध में है जिसे आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया है। दावेदार ने अनैतिक और भ्रामक रूप से आयुष मंत्रालय की मंजूरी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।

एनआइसीइ ने तथाकथित प्रोटोकॉल के लिए कोई आवेदन जमा नहीं किया
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ‘आयुष मंत्रालय एनआइसीइ के ऐसे सभी दावों का जोरदार खंडन करता है और संबंधित समाचारों के प्रकाशन को पूरी तरह से भ्रामक और निराधार मानता है।’ आयुष मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एजेंसी एनआइसीइ ने तथाकथित प्रोटोकॉल के लिए कोई आवेदन जमा नहीं किया है। अगर एनआइसीइ द्वारा कोरोना के उपचार और प्रबंधन से संबंधित कोई प्रस्ताव मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाता है, तो इसकी अंतःविषय तकनीकी समीक्षा समिति (Interdisciplinary Technical Review Committee, ITRC) द्वारा पूरी तरह से जांच की जाएगी।

मंत्रालय ने कहा, ‘समिति के पास इस तरह के सत्यापन के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित और कठोर वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया है। इस समिति की मंजूरी के बिना आयुष स्ट्रीम से संबंधित कोई भी एजेंसी प्रोटोकॉल विकसित करने का दावा नहीं कर सकती है।’
मंत्रालय के बयान में कहा गया कि ‘एनआइसीइ ने कोरोना के उपचार के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित प्राकृतिक चिकित्सा-आधारित प्रोटोकॉल विकसित करने का दावा करते हुए एक बहुत ही अनैतिक, अवैध और निराधार कार्य किया है। मंत्रालय की स्पष्ट अनुमति के बिना मंत्रालय के नाम का उपयोग करने का उसका कार्य उतना ही गंभीर है।’

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