राष्ट्रपति जी ने कृष्ण कुटीर आश्रय सदन, जनपद मथुरा में आयोजित कार्यक्रम को किया सम्बोधित

जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है।बाल विवाह, सती प्रथा और दहेज प्रथा की तरह विधवा जीवन की कुरीति को भी समाज से दूर करना होगा। - राष्ट्रपति

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उत्तर प्रदेश – भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी ने कहा कि माँ अनेक कठिनाइयों को सहन करके अपने बच्चों का पालन-पोषण करती है तथा उन्हें योग्य बनाती है। लेकिन समाज के कुछ व्यक्तियों द्वारा महिलाओं को उपेक्षित करके जीवन अकेला गुजारने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। इसलिए हमें माता और बहनों का सम्मान करना चाहिए।

राष्ट्रपति जी ने यह विचार आज कृष्ण कुटीर आश्रय सदन, जनपद मथुरा में आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने विधवा एवं निराश्रित महिलाओं से भेंट की। उन्होंने कहा कि वेदों की रचना करने वाली लोपामुद्रा, अपाला और घोषा जैसी महिला ऋषियों वाले समाज में महिलाओं के तिरस्कार की स्थितियां बनती हैं, यह एक कड़वा सच है। हमें बाल विवाह, सती प्रथा और दहेज प्रथा की तरह विधवा जीवन की कुरीति को भी समाज से दूर करना होगा। समाज को इसके प्रति अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। माताओं और बहनों के जीवन को सुधारने के लिए राजाराम मोहन राय, ईश्वरचन्द विद्या सागर और स्वामी दयानन्द द्वारा किए गए प्रयासों को आगे बढ़ाना होगा।

उत्तर प्रदेश सरकार की प्रशंसा की

राष्ट्रपति जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी सभी माताओं और बहनों के जीवन को सुगम और सरल बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वृन्दावन में कृष्ण कुटीर का निर्माण किया गया है। मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में अब कृष्ण कुटीर को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। वृन्दावन की माता एवं बहनों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मासिक पेंशन की भी व्यवस्था की गई है और माताओं की देखभाल केन्द्र व राज्य सरकार मिलकर कर रही हैं। राष्ट्रपति जी ने केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश की राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के दुःख दर्द सुनने और उनकी पीड़ाओं को कम करने तथा उनसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है।

राष्ट्रपति जी ने मुख्यमंत्री जी एवं सुलभ इण्टरनेशनल संस्था के संस्थापक श्री बिन्देश्वरी पाठक तथा अन्य समाज सेवी संस्थाओं से आग्रह किया कि इन माताओं को देश व प्रदेश का दर्शन कराया जाए।

जागरूकता की आवश्यकता है – राष्ट्रपति

राष्ट्रपति जी ने कहा कि समाज में इस प्रकार के आश्रय गृहों की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए। एक ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें समाज में जागरूकता उत्पन्न हो और महिलाओं के पुनर्विवाह, आर्थिक स्वावलम्बन, पारिवारिक सम्पत्ति में हिस्सेदारी, सामाजिक अधिकारों की रक्षा जैसे उपाय किये जाएं। साथ ही, महिलाओं को आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास से भरपूर जीवन जीने का अवसर दिया जाए। माताओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाए और उनका सम्पर्क बढ़ाया जाए तथा तीज-त्यौहारों में भी उनको शामिल किया जाए।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि पुराने प्रचलन में विधवा महिलाएं सफेद साड़ी पहनकर रहती थीं, लेकिन आज रंगीन कपड़े पहनती हैं। यह एक क्रान्तिकारी परिवर्तन है। बदलते भारत की तस्वीर हमारी माताएं भी देखना चाहती हैं।

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