वायरस और जैविक हथियारों पर रिसर्च जल्द ही लखनऊ में , देश की दूसरी बीएसएल-4 लैब होगा लखनऊ में तैयार
•विशेषज्ञों के अनुसार लखनऊ में इस लैब के बनने से देश की ताकत सामरिक दृष्टि से और मजबूत हो जाएगी। •50 एकड़ भूमि में करीब तीन वर्षों में बनकर तैयार होगी लैब। •अभी पुणे में देश की एक मात्र बीएसएल-4 लैब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) है।
लखनऊ – कोरोना और उससे भी खतरनाक माने जाने वाले दुनिया भर के अज्ञात वायरस और जैविक आतंकवाद से मुकाबले के लिए लखनऊ के रहमान खेड़ा में जमीन खोज कर ठप्पा लगा दिया गया है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) ने देश की दूसरी बॉयोसैफ्टी लेवल-4 (बीएसएल-4) लैब के लिए 50 एकड़ भूमि का चुनाव कर लिया है। केजीएमयू के कुलपति डा. बिपिन पुरी के अनुसार लैब को बनने में करीब तीन वर्ष लगेंगे। लैब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है।
अभी पुणे में देश की एक मात्र बीएसएल-4 लैब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी) है। विशेषज्ञों के अनुसार लखनऊ में इस लैब के बनने से देश की ताकत मजबूत हो जाएगी। केजीएमयू के प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह ने बताया कि रहमान खेड़ा में 50 एकड़ जमीन इसके लिए चिह्नित कर ली गई है।
लैब में क्या होगा?
यहां रेयरेस्ट ऑफ द रेयर रोग के कारकों और उसके समाधान के लिए प्रतिरोधक को खोजने के लिए रिसर्च किया जाएगा। इस तरह की लैब में दुनिया में सबसे खतरनाक माने जाने वाले पैथोजन होते हैं, जिन पर शोध चलता रहता है। यह लाइलाज और जानलेवा पैथोजन होते हैं। पैथोजन एक तरह से अज्ञात वायरस, बैक्टीरिया, फंगस इत्यादि कुछ भी हो सकते हैं। इन पर शोध करते जरा सी लापरवाही लैब कर्मियों के साथ पूरे इलाके देश व दुनिया के लिए घातक हो सकती है। चीन की वुहान लैब से निकला कोरोना वायरस इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। इसलिए इसे आबादी से दूर बनाया जाता है। अमेरिका, रूस, चीन कनाडा इत्यादि देशों में ऐसी कई लैब हैं। भारत भी अपना दूसरा बीएसएल -4 लैब बनाने के लिए तत्पर है।