लखनऊ. ईद-उल-फितर, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती पर किसी भी तरह के धार्मिक हिंसा ना हो इसके लिए बुधवार को प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी और स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था ने अलग-अलग जिलों के अफसरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. इस बैठक में उन्होंने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि जो धार्मिक कार्यक्रम जहां जैसे होते हैं वैसे ही हों. कोई भी नई परंपरा शुरू नहीं होनी चाहिए। जुलूस और शोभायात्रा बगैर अनुमति के नहीं निकलनी चाहिए। बता दें कि प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, पुलिस महानिदेशक आरके विश्वकर्मा और स्पेशल डीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने यह फैसला बीते दिनों हनुमान जयंती पर देश के कई हिस्सों में हुए धार्मिक हिंसा को दृष्टिगत रखते हुए लिया है. हिन्दू और मुस्लिम त्यौहार एक साथ पड़ने की वजह से पुलिस प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह की चूक नहीं चाहता है.
त्यौहार पर शांति व्यवस्था बनी रहे इसके लिए प्रमुख सचिव गृह ने सभी एडीजी जोन, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, आईजी, डीआईजी, एसएसपी को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा, हालिया वर्षों में प्रदेश में सभी धर्मों के पर्व और त्यौहार शांति और सौहार्द के माहौल के बीच हुए हैं. इससे पूरे देश में एक अच्छा सन्देश गया है. हमें अपने इस दायित्व के प्रति सदैव सतर्क-सावधान रहना होगा। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल ईद-उल-फितर, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती एक ही दिन मनाई जाएगी। ऐसे में पुलिस प्रशासन को बेहद सतर्क रहना होगा। जो धार्मिक कार्यक्रम जहां होते हैं वहीं पर हों. कोई भी धार्मिक कार्यक्रम सड़क पर ना हो जिससे यातायात बाधित हो. इतना ही नहीं शोभायात्रा और जुलूस के लिए विधिवत अनुमति लेनी होगी। बगैर अनुमति के कोई भी शोभा यात्रा और जुलूस ना निकल पाए. भीड़ वाली जगहों पर पुलिस की गश्त होती रहे. इसके अलावा 112 जैसी आकस्मिक सेवाओं की उपयोगिता उसके क्विक रिस्पॉन्स पर निर्भर करती है. ऐसे में 24×7 पीआरवी 112 एक्टिव रहे.