महाराष्ट्र. शिवसेना (उद्धव गुट) बनाम शिवसेना (शिंदे गुट) विवाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा ना दिया होता तो वह पुरानी स्थित बहाल कर सकते थे. कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में उद्धव गुट के प्रमुख आरोपों पर मुहर लगाई। इसमें कोर्ट ने कहा-
-राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फैसला गलत माना.
-स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला गलत माना.-
-स्पीकर राहुल नार्वेकर का फैसला गलत माना.-
-भरत गोगावले (शिंदे गुट के नेता) की व्हिप की नियुक्ति को गलत ठहराया
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जो फैसला लिया वो पूरी तरह गलत था और संविधान के खिलाफ था. यह फैसला से बीजेपी और शिंदे गुट के लिए झटका है और उद्धव के लिए राहत और मलाल करने वाला है. अगर उद्धव उस समय इस्तीफा नहीं देते तो शायद आज महाराष्ट्र में तख्तापलट हो सकता था. शिंदे गुट का कहना था कि 40 विधायक उनके साथ हैं इसलिए व्हिप नियुक्त करने का अधिकार उनके पास है. जबकि तब सीएम उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का प्रमुख होने के नाते सुनील प्रभु को व्हिप नियुक्त किया था. अब कोर्ट ने साफ किया है शिंदे गुट का कहना था कि 40 विधायक उनके साथ हैं इसलिए व्हिप नियुक्त करने का अधिकार उनके पास है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं गद्दार लोगों के साथ सरकार नहीं चला सकता था. जिस पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया और उन्होंने उसी पार्टी के साथ गद्दारी की. मैंने नैतिकता के आधार इस्तीफा दिया।