पेगासस जासूसी कांड पर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी बढ़ी, स्पीकर और सभापति विपक्ष पर भड़के

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नई दिल्ली। संसद में पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार और विपक्ष का घमासान अब तनातनी की ओर बढ़ गया है। मानसून सत्र के छठे दिन भी दोनों सदनों में विपक्ष के भारी हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हुआ। भारी शोर-शराबे और नारेबाजी के चलते लोकसभा की कार्यवाही 10 बार स्थगित हुई। दोनों सदनों में गतिरोध के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ने हंगामे पर विपक्षी दलों को फटकार लगाई।

लोकसभा में सुबह कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ओम बिरला ने किसी तरह करीब आधे घंटे तक प्रश्नकाल की कार्यवाही चलाई, इसे भी दो बार स्थगित करनी पड़ी। संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने स्पीकर के आसन के सामने पोस्टर-बैनर लिए हंगामा कर रहे कांग्रेस, टीएमसी, द्रमुक, सपा, बसपा, माकपा सरीखे दलों के सदस्यों पर निशाना साधते हुए उन पर मंत्रियों को सदन में जवाब देने से रोकने का आरोप लगाया।

स्पीकर ने विपक्षी सदस्यों को हंगामा करने पर नसीहत देते हुए कहा कि उनका व्यवहार पूरा देश देख रहा है और यह तरीका उचित नहीं है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष पर राजनीतिक मकसद से सदन को ठप करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर किसानों के मुददे पर वह चर्चा चाहता है तो उसे प्रश्नकाल चलने देना चाहिए क्योंकि किसानों से जुड़े कई सवाल हैं। लेकिन विपक्षी सदस्य किसानों और जासूसी के मुददे पर अपना आक्रामक रवैया छोड़ने को तैयार नहीं हुए जिस पर सदन 12 बजे के बाद तीसरी बार स्थगित हुआ।

दोपहर 12.30 बजे और दो बजे भी यही कहानी दोहरायी गई। इसके बाद तो हर आधे-आधे घंटे के अंतराल पर कुल मिलाकर पूरे दिन लोकसभा की कार्यवाही नौ बार हंगामे की वजह से स्थगित हुई और आखिर में शाम 4.30 बजे 10वीं बार सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

विधायी कामकाज कराने के खिलाफ विपक्ष की रणनीति
विपक्ष के आक्रामक तेवरों और हंगामे के बावजूद सरकार के जरूरी विधायी कामकाज को शोर-शराबे में ही करा लेने की रणनीति को देखते हुए लोकसभा स्थगित होने के बाद राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी, सुप्रिया सुले, टीआर बालू, कनीमोरी सरीखे सात विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को पत्र भेजने का फैसला किया गया।

सभापति ने विपक्ष दलों को लगाई फटकार
राज्यसभा में भी सुबह 11 बजे सदन शुरू होते ही विपक्ष ने पेगासस जासूसी कांड और किसानों के आंदोलन पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के अपने नोटिस का हवाला देते हुए चर्चा की मांग की। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कार्यस्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। सभापति ने हंगामा कर रहे विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कुछ लोग पूरे सत्र को नहीं चलने देना चाहते। हंगामा करने वाले सदस्य देश का अहित कर रहे हैं और वे इस तरह की कोई ड्रामेबाजी स्वीकार नहीं करेंगे। बार-बार व्यवधान के चलते राज्यसभा की कार्यवाही को भी आखिरकार पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

विपक्ष का सरकार पर हमला
सभापति की तीखी टिप्पणियों के बाद नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के आनंद शर्मा, टीएमसी के सुखेंदु शेखर राय, सपा के रामगोपाल यादव, माकपा के विनय विस्वम, राजद के मनोज झा, द्रमुक के त्रिची शिवा समेत दूसरे विपक्षी नेताओं ने भी सरकार और आसन पर आक्रामक जवाबी हमला बोला।

पीएम से पेगासस पर सर्वदलीय बुलाने की मांग
खड़गे ने कहा कि पेगासस पर दुनिया के कई देशों में जांच हो रही है तो हमारे यहां क्यों नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री को इस मामले में सभी दलों को बुलाकर बातचीत करनी चाहिए। खड़गे ने नायडू की टिप्पणियों को गैरवाजिब ठहराते हुए कहा कि आसन उल्टे सरकार के दबाव में उनके हिसाब से सदन को चलाने का प्रयास कर रहा है।

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