लखनऊ। राजधानी में ढाई करोड़ की नकली दवाई पकड़े जाने के मामले में मेडिसिन मार्केट के कुछ व्यापारी शक के घेरे में हैं। दवा व्यापारियों की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्य आरोपित मनीष मिश्रा के पकड़े जाने के बाद कानपुर पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि आरोपित के बयान के बाद पुलिस राजधानी के कुछ दवा व्यापारियों से पूछताछ करेगी।
इंस्पेक्टर अमीनाबाद आलोक कुमार राय ने बताया कि नकली दवाओं के पकड़े जाने के बाद मेडिसिन मार्केट में एडीसीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने व्यापारियों के साथ बैठक की है। बैठक में नकली दवा का कारोबार करने वाले लोगों को चिह्नित कर उनके बारे में सूचना दिए जाने की अपील की गई। इसके साथ ही टास्क फोर्स गठित करने का निर्णय लिया गया है, जिससे कालाबाजारी व नकली दवाओं की खरीद फरोख्त पर रोक लगाई जा सके। गौरतलब है कि कोरोना काल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त भी उजागर हुई थी। पुलिस ने कालाबाजारी करने वालों और नकली इंजेक्शन बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।
छानबीन में पता चला कि कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत में ही मनीष मिश्रा लखनऊ आया था। इस दौरान उसने मॉडल हाउस में चार हजार रुपये में किराये पर गोदाम लिया और हिमांचल में संचालित दवा की फैक्ट्री से दवाइयां लाकर यहां स्टोर कर रहा था। इंस्पेक्टर ने बताया कि मकान मोहम्मद मुस्तफा के नाम पर दर्ज है, जिनका देहांत हो चुका है। वर्तमान में उनके तीन बेटे हैं, जो मकान की देखरेख करते हैं। हालांकि उन्होंने आरोपितों का किरायेदार सत्यापन नहीं कराया था।