2006 के वाराणसी बम धमाकों के दोषी वलीउल्लाह खान को मौत की सजा

गाजियाबाद की एक अदालत ने भी वलीउल्लाह खान को हत्या के प्रयास के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई और जुर्माना भरने का आदेश दिया।

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2006 में वाराणसी में हुए सिलसिलेवार धमाकों में कम से कम 20 लोगों की जान लेने वाले आतंकी हमले के दोषी वलीउल्लाह खान को सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई थी।

शनिवार को गाजियाबाद में जिला सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने खान को दोषी ठहराया था, लेकिन सजा की मात्रा पर फैसला सुरक्षित रखा था। मौत की सजा की पुष्टि अब इलाहाबाद हाईकोर्ट को करनी होगी।

अदालत ने खान को हत्या के प्रयास के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई और जुर्माना भरने का आदेश दिया।

सोमवार को खान को कड़ी सुरक्षा के बीच डासना जेल से जिला अदालत लाया गया, जिसकी देखरेख एक पुलिस उपाधीक्षक कर रहे थे।

ये धमाका 16 साल पहले वाराणसी के संकट मोचन हनुमान मंदिर और एक रेलवे स्टेशन पर हुआ था।

एक विशेष टास्क फोर्स ने 2006 में दावा किया था कि खान बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन हरकत-उल-जेहाद अल-इस्लामी से जुड़ा था और विस्फोटों का मास्टरमाइंड था।
पहला धमाका 7 मार्च 2006 को शाम 6.15 बजे लंका थाना क्षेत्र के भीड़भाड़ वाले संकट मोचन मंदिर में हुआ था। 15 मिनट के बाद वाराणसी छावनी रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के रिटायरिंग रूम के बाहर बम धमाका हुआ।

दो धमाकों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और करीब 100 लोग घायल हो गए थे।

उसी दिन दशाश्वमेध थाना क्षेत्र में एक रेलवे क्रॉसिंग की रेलिंग के पास प्रेशर कुकर बम भी मिला था।

खान को भारतीय दंड संहिता की हत्या और हत्या के प्रयास की धाराओं और विस्फोटक अधिनियम के तहत दर्ज दो मामलों में दोषी ठहराया गया था।

वाराणसी में वकीलों ने मामले की पैरवी करने से इनकार कर दिया था और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इसे गाजियाबाद जिला अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

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