लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अच्छी तरह से जानती है की 2022 विधानसभा चुनाव में विपक्ष युवाओं को भड़काने के लिए बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बना सकती है। इससे बीजेपी को नुकसान हो, इसकी काट के लिए योगी सरकार बड़े पैमाने पर भर्ती प्रक्रिया चला रही है जो आगे भी जारी रहेगी। चुनाव आने तक योगी सरकार नौकरी दिलाने का रिकॉर्ड सात लाख तक पहुंचा देना चाहती है, जोकि अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई सरकार नहीं बना पाई है। ऐसा हो जाता है तो विधानसभा चुनाव के प्रचार में बीजेपी इसे विपक्ष के खिलाफ बड़ा हथियार बनाकर विपक्ष के दांव से ही उसे पटकनी दे सकती है। प्रदेश की योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में 6,696 शिक्षकों की नियुक्ति पत्र का वितरण करने के साथ ही साढ़े चार वर्ष में 6.65 लाख से अधिक भर्तियां पूरी कर ली हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को रिझाने के लिए सरकार यह संख्या 7 लाख पार करने की योजना पर काम कर रही है। भर्ती एजेंसियों की रिक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाही पर मुख्यमंत्री कार्यालय नजर रख रहा है।
विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी नेता प्रदेश में बेरोजगारी को मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। तो सत्ताधारी दल ज्यादा से ज्यादा सरकारी नौकरियां देकर सपा व बसपा राज में दी गई नौकरियों से तुलनात्मक रिपोर्ट पेश कर तथ्यात्मक जवाब देने की योजना पर काम रहा है। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार विभिन्न भर्ती आयोगों, चयन बोर्डों व विभागों ने अब तक 6 लाख 65 हजार 339 रिक्त पदों पर भर्ती की है। इसमें 3 लाख 44 हजार 136 पदों पर नियमित सरकारी नौकरी दी गई हैं। इसमें सबसे ज्यादा भर्तियां पुलिस व बेसिक शिक्षा विभाग ने की हैं। बाकी 3,21,203 पदों पर संविदा व आउटसोर्सिंग के माध्यम से लोगों को सरकारी सिस्टम में काम का अवसर दिया गया है। सरकार आने वाले दिनों में रिक्त पदों पर प्रक्रियाधीन भर्तियों को पूरी कर 7 लाख नौकरी देने का रिकार्ड बनाएगी।
प्रदेश सरकार चुनाव से पहले 74 हजार से अधिक और रिक्त पदों पर नियमित सरकारी नौकरी देने की योजना पर काम कर रही है। भर्ती आयोगों व बोर्डों के अध्यक्षों ने दो जुलाई को मुख्यमंत्री के साथ बैठक में 74 हजार रिक्त पदों पर भर्ती की कार्ययोजना पेश की थी। इसमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 30 हजार, उच्चतर शिक्षा चयन आयोग ने 17 हजार और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 27 हजार रिक्त पदों पर भर्ती की बात कही थी। इनमें से कुछ विज्ञापन निकल चुके हैं तो कुछ की लिखित परीक्षा की तैयारी चल रही है। सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा तो ये भर्तियां विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पूर्व पूरी हो जाएंगी। इस तरह पांच वर्ष में 4.28 लाख (3.44 लाख व 74 हजार मिलाकर) नियमित सरकारी नौकरी देना एक रिकार्ड होगा।
बहरहाल, विपक्ष हो योगी सरकार के दावों पर भरोसा नहीं है।विपक्ष इसे बीजेपी का चुनावी प्रोपेगेंडा बता रहा है। उसका कहना है प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई के कारण लोगों का हाल बुरा है, अपराध बढ़ रहे हैं, विकास के कार्य ठप पड़े हैं और सरकार चैन की बंसी बजा रही है। ऐसा लग रहा है सब तरफ खुशहाली आ गई है। बीजेपी को उसके कर्मों की सजा चुनाव में जनता जरूर देगी।