एनेस्थीसिया विभाग की डा. सुरुचि और न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रो. कमलेश सिंह, न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर राजकुमार ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित करने के लिए मानक तय किए गए हैं. उस मानक के आधार पर विशेषज्ञ ब्रेन डेड घोषित करते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के लंबे समय तक जीने की संभावना नहीं होती.
लखनऊ.अंगदान को बढ़ावा देने और जटिल समस्याओं से जूझ रहे मरीजों को राहत पहुंचाने के मसकद से अब पीजीआई ब्रेन डेड की नोटिस देना अनिवार्य कर रहा है. ब्रेन डेड घोषित करने के लिए न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट और एनेस्थीसिया विभाग के एक्सपर्ट शामिल रहेंगे. राज्य अंग प्रत्यारोपण के तहत मार्ग दुर्घटना और अन्य किसी एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति का पूरा इलाज किया जाए, यदि इसके बाद भी व्यक्ति में कोई सुधार नहीं होता है तो विशेषज्ञों का पैनल उसे ब्रेन डेड घोषित करेगा. इसके बाद ब्रेन डेड हो चुके मरीज के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया जाएगा.
हॉस्पिटल के प्रशासन प्रमुख और स्टेट ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख प्रोफेसर राजेश हर्षवर्धन ने ब्रेन डेड की प्रक्रिया को लेकर सीएमई का आयोजन किया. इसमें अंगदान से जुड़े प्रतिनिधियों के अलावा संस्थान के न्यूरो सर्जन, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ सहित अन्य लोग शामिल हुए. प्रो. हर्षवर्धन ने बताया कि ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अंगदान के बारे में परिजनों को पता चलना चाहिए इसमें पुलिस की भी अहम भूमिका है. इसे बढ़ाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया गया है. इसमें परिजनों की सहमति ली जाती है.