चंडीगढ़। हरियाणा व दिल्ली के बार्डर पर पिछले सात माह से चल रहे आंदोलन को पूरी तरह राजनीतिक मानते हुए प्रदेश सरकार अब सख्ती के मूड में है। इस आंदोलन की वजह से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा तथा आसपास के लोगों को आवागमन में दिक्कतें हो रही हैं। सरकार का कहना है कि आंदोलन स्थल आपराधिक वारदातों का केंद्र बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार का मानना है कि राज्य के वास्तविक किसानों का इस आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है। वह आंदोलन में भागीदार भी नहीं हैं। पंजाब चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से कांग्रेस इस आंदोलन को चलवा रही है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने अपने हिस्से के तीन टोल प्लाजा को शुरू करवा दिया है।
धरना स्थल पर बढ़ रही अवांछित गतिविधियों से चिंतित प्रदेश सरकार का टूट रहा संयम
चंडीगढ़ में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट कह दिया कि जिस दिन टकराव होगा, उस दिन हमारा संयम भी टूट जाएगा। इसलिए कांग्रेस के हाथों में खेल रहे किसान संगठन तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की राजनीतिक जिद छोड़कर वार्ता के लिए आगे आएं। केंद्र सरकार उनसे बातचीत के लिए तैयार है। मनोहर लाल ने कहा कि यदि किसी को आंदोलन करना भी है तो उन्हें लिखकर देना होगा कि भविष्य में कोई अवांछित गतिविधियां नहीं होंगी। यदि कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती है तो इसके जिम्मेदार भी आंदोलनकारी ही होंगे।
हरियाणा ने अपने हिस्से के तीन टोल खुलवाए, बाकी के लिए गड़करी से बातचीत की
मुख्यमंत्री के कड़े और स्पष्ट रुख से साफ संकेत मिल रहा है कि सरकार कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए इन आंदोलनकारियों को धरना स्थल पर ज्यादा दिन नहीं टिकने देगी। मुख्यमंत्री ने अपने मनाली दौर के दौरान नेशनल हाइवे के बंद टोल प्लाजा को खुलवाने की बाबत केंद्रीय मंत्रि नितिन गड़करी से बात की है। मनोहर लाल ने बताया कि केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर है और जल्द कार्रवाई को अंजाम दे सकती है। हरियाणा सरकार ने एचएसआइआइडीसी के अपने तीन टोल प्लाजा चालू करा दिए हैं।
मनोहर लाल हर जिले में कार्यक्रम करने जाएंगे, विरोध हुआ तो आंदोलनकारियों से निपटेगी सरकार
भाकियू नेता गुणी प्रकाश द्वारा कुरुक्षेत्र में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम कराने से जुड़े सवाल पर मनोहर लाल ने कहा कि हम इसके लिए तैयार हैं। जिस भी जिले से ऐसे कार्यक्रमों की पेशकश आएगी, हम वहां जाएंगे। कुरुक्षेत्र के बाद दादरी में यह कार्यक्रम होगा। उन्होंने कहा कि किसान एक पवित्र शब्द है, लेकिन आंदोलनकारी किसान शब्द की पवित्रता भंग करने में जुटे हैं।
उन्होंने कहा कि धरना स्थल पर बहन-बेटियों की इज्जत लूटी जा रही है। मर्डर तक हो चुके हैं। रास्ता खोलने को लेकर स्थानीय लोगों के साथ विवाद बढ़ गए हैं। एक दूसरे के विरोध में भाषाएं बोली जाने लगी है। आंदोलनकारी यहां तक कहते हैं कि सरकार के मंत्रियों-नेताओं को आने-जाने नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद हम संयम बरते हुए हैं, लेकिन इसे वह हमारी कमजोरी समझ रहे हैं।
आंदोलनकारी सीमा से बाहर जाएंगे तो हर सूरत में कार्रवाई
मुख्यमंत्री मनोहरलाल के अनुसार मैं सरकार के मुखिया के नाते इन आंदोलनकारी संगठनों के व्यवहार व कृत्यों को अलोकतांत्रिक बताते हुए उनकी निंदा करता हूं। अगर वह सीमा से बाहर जाएंगे तो निश्चित रूप से हम कार्रवाई करेंगे। उनसे लिखवाकर लेंगे कि कोई अवांछित गतिविधियां भविष्य में नहीं होंगी। उन्होंने सवाल दागा कि आखिर किस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में विरोध की घटनाएं नहीं हुई।
उन्होंने विभिन्न किसान आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस प्रायोजित यह आंदोलनकारी किसानों का ही नुकसान कर रहे हैं। उन्हें पता भी है कि पुराने कृषि कानून-नियमों का नुकसान है और नए नियमों का फायदा। फिर भी वह जिद पर अड़े हैं। कांग्रेस अपने फायदे के लिए इन किसान संगठनों का इस्तेमाल कर रही है। अब वहां सिर्फ मुट्ठी भर लोग रह गए हैं, लेकिन हम उन्हें भी अपना मानते हुए बार-बार किसी कठोर कार्रवाई से बच रहे हैं। आखिर ऐसा कितने दिन चलेगा।