पुराने स्मार्टफोन दान में मांग रही झारखंड पुलिस, जानें इसके पीछे की बड़ी वजह

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रांची। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते झारखंड में स्कूल-कालेज बंद हैं। सिर्फ ऑनलाइन क्लास ही चल रहे हैं। राज्य में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 40 लाख गरीब बच्चे ऐसे हैं जिनके पास मोबाइल, लैपटॉप जैसे डिजिटल डिवाइस व सुविधा नहीं होने के चलते उनकी पढ़ाई पिछले डेढ़ साल से बाधित है। ऐसे गरीब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो सके, इसके लिए झारखंड पुलिस ने सामुदायिक पुलिसिंग के तहत एक नई पहल शुरू की है। डीजीपी नीरज सिन्हा ने इसके लिए सभी जिलों के एसएसपी-एसपी को सुझाव दिया है कि वे आम लोगों को जागरूक करें और उन्हें प्रेरित करें कि वे अपने पुराने स्मार्टफोन पुलिस को दान करें ताकि उसे गरीब बच्चाें तक पहुंचाया जा सके।

इन खबरों के बाद डीजीपी के मन में आया ख्याल
डीजीपी नीरज सिन्हा को कुछ खबरों ने ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। जमशेदपुर की एक 11 साल की बच्ची आम इसलिए बेच रही थी, ताकि वह अपनी पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन खरीद सके। जब यह खबर चर्चा में आई तो एक कंपनी ने एक दर्जन आम 1.2 लाख रुपये में खरीदने की बात कही। हैदराबाद में 19 साल की बच्ची ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या की कि उसके पास पढ़ने के लिए लैपटॉप नहीं थे। इससे डीजीपी के मन में यह विचार आया कि कई लोग ऐसे हैं, जो पुराने स्मार्टफोन बदलने की सोच रहे हैं।
उन्हें क्यों न प्रेरित किया जाय कि वे इसे पुलिस को दे दें। व्यवसायिक ब्रांडिंग के फलस्वरूप स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर उपकरणें का जीवनचक्र छोटा होता जा रहा है। अक्सर लोग अल्प अवधि में अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप के मॉडल बदल देते हैं। पुराने मॉडल के उपकरण अक्सर घरों में अनुपयोगी पड़े रहते हैं या घातक रसायनों वाले इलेक्ट्राॅनिक कचरा के रूप में भूमि व जल को प्रदूषित करते हैं। इसके निदान को लेकर ही यह प्लान तैयार किया गया है।

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