आइए हम आपको बताते हैं कि वास्तव में डिवोप्स क्या है। यह दो शब्दों, मतलब डेवलपमेंट और ऑपरेशन से मिलकर बना है। 2 शब्दों के इनिशियल्स को जोड़कर इसे बनाया गया है, जो सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से लेकर उस सॉफ्टवेयर की उपयोगिता सुनिश्चित करता है। वास्तव में यह कोई अलग से टेक्नोलॉजी नहीं है, बल्कि दो प्रोसेस को मिलाकर इसे बनाया गया है। देखा जाए तो सामान्य तौर पर कोई भी फार्मूला अगर डिवेलप होता है, कोई भी सॉफ्टवेयर डेवलप होता है, कोई भी टेक्नोलॉजी आती है, किंतु जब उसे हम प्रयोग में लाते हैं, यानी ऑपरेशन में लाते हैं, तो उसके बीच में काफी गैप हो जाता है। मतलब किसी चीज को बनाने और उसे वास्तविक उपयोग में लाने के बीच का गैप बेहद महत्त्व का होता है। वस्तुतः इन्हीं को समझने के लिए, बग्स को कम से कम समय में दूर करने के लिए ही डिवोप्स नामक प्रोग्राम बनाया गया है। ध्यान रहे, अगर आप कोई टेक्नोलॉजी बनाते हैं, कोई सॉफ्टवेयर बनाते हैं, तो उसकी टेस्टिंग से लेकर उसकी रिलीज तक में काफी तेजी आती है, तो वह काफी प्रैक्टिकल भी हो जाता है, अगर आप डिवोप्स प्रोसेस को प्रयोग में लाते हैं तो!
डिवोप्स काफी डिमांड में है, तो जाहिर तौर पर इससे जुड़े प्रोफेशनल्स की मांग भी बढ़ रही है। अगर आप डिवोप्स टूल्स पर कमांड कर लेते हैं, तो मार्किट में अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं, वह भी बेहतर सेलरी के साथ। बता दें कि सन 2009 में डिवोप्स का पहला सम्मलेन ऑरगेनाइज किया गया था, जो बेल्जियम के घेंट में था। इस सम्मलेन के संस्थापक पैट्रिक डेबिस थे। वैसे यह अब धीरे-धीरे समूचे विश्व में फ़ैल चूका है और इसे भविष्य में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी के नजरिये से भी देखा जा रहा है। जाहिर तौर पर नए-नए बदलाव आने स्वाभाविक ही हैं, और डिवोप्स भी इससे अछूता नहीं है।
मुख्या रूप से कोडिंग, बिल्डिंग, टेस्टिंग, पैकेजिंग, रिलीजिंग, कन्फिगरेशन, मोनिटरिंग जैसे प्रोसेस इसमें शामिल किये जाते हैं, जो काफी उपयोगी साबित हुए हैं। जहाँ तक डिवोप्स टूल्स की बात है तो स्लैक, जेन्किन्स, फैंटम, डोकर, एन्सिबल, वागरेंट, गिटहब जैसे सॉफ्टवेयर इस्तेमाल में लाये जाते हैं, जिनकी संख्या दिनों दिन बढती जा रही है। वास्तव में यह काफी उपयोगी साबित हुए हैं और इस बात में कोई दो राय नहीं है।
चूंकि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में भारत पूरी दुनिया में काफी आगे हैं, और जब हम बात करते हैं डिवोप्स की, तो यह एक तरह से बेहद क्रांतिकारी प्रोसेस है। वास्तव में इससे किसी भी सॉफ्टवेयर की, किसी भी टेक्नोलॉजी की न केवल तेज डिलीवरी होती है, बल्कि उसकी कैपेसिटी में, उसकी कार्यप्रणाली में भी काफी सुधार आता है। ऐसे में कस्टमर बेहद सटिसफाईड होता है। फास्ट डिलीवरी टाइम के अलावा टीम के बीच में कोलैबोरेशन भी इससे बहुत बेहतरीन हो जाता है, और यह नज़र भी आता है। पहले के समय में डेवलपर्स और ऑपरेशन में काम करने वाले लोग अलग-अलग काम करते थे, तो अब इनके बीच में काफी को-आपरेशन रहता है, और कम्युनिकेशन हाई लेवल का होने से, जाहिर तौर पर क्वालिटी में काफी सुधार नजर आता है। साथ ही अगर किसी टेक्नालॉजी में कोई समस्या है, तो उसे करेक्ट करना भी बेहद सरल हो जाता है। इतना ही नहीं, किसी भी प्रोडक्ट में, किसी भी टेक्नोलॉजी में, किसी भी सॉफ्टवेयर में सुधार करने की प्रक्रिया भी डीवोप्स नामक प्रोसेस अडॉप्ट करने से काफी तेज हो जाती है। ऐसी स्थिति में कस्टमर सर्विस, उसकी संतुष्टि निश्चित रूप से बेहद मायने रखती है।